Monday, December 17, 2007

माया

माया और मित्थ्या ही
जीवन की राह दिखाती है
यह वो गाजर है
जो हम जैसे गधों की चलती है!!

लड़की मिलने का आशा न हो
जो पीछे जाओगे कयों ?

बीवी तो दूसरे की भी अच्छी होती है
फिर अपनी के नखरे उठाओगे कयों ?

पैसे का मोह न हो
तो बंजर career पे जान लगोगे कयों ?

उस में रहने का चाव न हो तो
११ बजे offshore का कॉल उठाओगे कयों ?

कोई सपनो के पूरा होने की प्रोबबिलिटी निकल दे
तो रोज़ जिंदगी का सामना करने जाओगे कयों ?

Written in response to Jaggi ji's poem

सब माया है
क्या खोया क्या पाया है
सब माया है

मैं उसको प्यार करता हूँ वोह किसी और को
( पब्लिक : इतनी पुरानी कहानी क्यों लाया है )
सब माया है

US या India
Salary या Career
इन questions ने ऐसा घुमाया है
सब माया है

सपने या reality
career या stability
constraints ने ऐसा फसाया है
सब माया है

बदली कंपनी बदले दोस्त
बदला शेहेर बदले लोग
घूम फ़िर के फिर वहीं आया है
सब माया है

खुशी क्या है
success क्या है
सब कुछ मिला क्योंकि आज किसी तो हास्य है
सब माया है

2 comments:

Nick said...

Indeed!

Anonymous said...

jab kat jaaye haath sab ,
fir bhi kalam utha lete hai ...

ab blog nahi ker sakte to kya ,
comments se hi kaam chala lete hain