Monday, September 21, 2009

जिद्द

हाथो मे जिम्मेदारी आते ही
जिंदगी को खूंटी से टांक देते हैं
हाथ खाली होंगे तो उंगलियो मै पहन लेंगे

माथे पर शिकन कि कयारिया बनते ही
जिंदगी कि तह लगा कर रख देते हैं
मुस्कराहतो का चांद निकलेगा तो चमका लेंगे

सपनो की पतंग को दूर से तकते हुए
जिंदगी की तरफ पीठ करके बैठ जाते हैं
डोर हाथ में ले कर फिर उस से रुबरु होने की चाह में

जिंदगी को ताक पर रखने की आदत बुरी है
कयोकि लम्हे ना तो टंगते हैं, ना तह होते हैं
ना निगाहो के इंतजार में थमते हैं

बस थिरकते हैं घडी कि डाइल पर जिये जाने कि जिद्द में
वही जिद्द जिस से हम बेदखल कर देते है बागी जिंदगी को