Sunday, March 15, 2015

शब्द

हर शाम, बादलों की कलम से
रोशिनी को स्याही बना कर
आसमान के पन्नों पर
एक कविता सी लिख जाती है

हर दर्द, जिंदगी के साज़ पर
वक़्त को आवाज़ बना कर
अहसास की सरगम से
एक नयी धुन बना जाता है

तन्हाई का एक लम्हा
सोच के बवंडर से
भावनाओं का अंधड़ समेट कर
कितना शोर मचा जाता है

चाहत, रूह को गरमा कर
होटों पर मुस्कान सजा कर
दिल की गिरहों को
एक शायरी सी सुना जाती है


शब्द ही शब्द हैं, जब शब्द नहीं होते ...
खामोशियों को ही आता बैठ के बातें करना