हाथो मे जिम्मेदारी आते ही
जिंदगी को खूंटी से टांक देते हैं
हाथ खाली होंगे तो उंगलियो मै पहन लेंगे
माथे पर शिकन कि कयारिया बनते ही
जिंदगी कि तह लगा कर रख देते हैं
मुस्कराहतो का चांद निकलेगा तो चमका लेंगे
सपनो की पतंग को दूर से तकते हुए
जिंदगी की तरफ पीठ करके बैठ जाते हैं
डोर हाथ में ले कर फिर उस से रुबरु होने की चाह में
जिंदगी को ताक पर रखने की आदत बुरी है
कयोकि लम्हे ना तो टंगते हैं, ना तह होते हैं
ना निगाहो के इंतजार में थमते हैं
बस थिरकते हैं घडी कि डाइल पर जिये जाने कि जिद्द में
वही जिद्द जिस से हम बेदखल कर देते है बागी जिंदगी को